January 2, 2015

AS THE HINDU ORTHODOXY GETS HARD HAMMERED GODMAN DEMANDS PK'S ARREST

[Nowadays, things are getting so funnily interesting in India ! A new comedy movie - PK (We do not know what PK really stands for ? It must have some meaning.) is the latest in the list. It ridicules religious fundamentalism and hammers hard on the Hindu faith. One of the Hindu trinity - 'Mahadev'- the all powerful god, is so chokingly ridiculed that he gets locked in a public bathroom. The protagonist, PK, lets him out and while running away the latter happens to smash the stage where his devotees were waiting for their god's blessing! The movie has mostly ridiculed Hindu orthodoxy and therefore organizations like RSS or Bajrang Dal etc. are protesting it. The Godman Ramdev has even demanded PK's ban and Amir Khan's arrest. But the Uttar Pradesh and Bihar state governments have waived entertainment tax on the movie. Last September in Madhubani, Bihar, a Durga temple was 'purified' soon after the Chief Minister Jitan Ram Manjhi, a Dalit Shudra had paid his obeisance,  as some orthodox Hindu folks thought he had desecrated the temple. The movie is taken positively by some 'enlightened folks' in the country and is also being well-received everywhere as well, as an eye opener. Twelve years ago, Toronto Star, a daily from Toronto, Canada also had published a nude Durga picture on October 11, 2003 and later apologized as Hindu folks had protested against the publication. - The Blogger]



उनके पास PK के सवालों के जवाब नहीं हैं...
नीरेंद्र नागर 

ल पीके देखी। देखकर पता चल गया कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैंउन्होंने या तो फ़िल्म देखी ही नहीं है और बिना सोचे-समझे इसका विरोध कर रहे हैं या फिर वे हैं जिन्होंने फ़िल्म देखी है और इसी कारण विरोध कर रहे हैं कि यह उनके धंधे पर चोट करती है।

पीके आम हिंदूमुसलमानईसाईसिख को  इन धंधेबाजों से सावधान करती है और समझाती है कि ऊपरवाले’ से डायरेक्ट कॉन्टैक्ट करोइन एजेंटों के चक्कर में मत आओ क्योंकि ये एजेंट आपके पैसे से अपना घर भरते हैं। एक तरह से यह ओ माइ गॉड’ का रिपीट वर्श्ज़न है। बस कथानक बदला हुआ हैसंदेश एक है।

आख़िर इस बात से कौन इनकार कर सकता है कि शिवजी पर दूध चढ़ाने से बेहतर है कि वह दूध किसी बच्चे के काम आएऔर इस बात से भी कौन इनकार सक सकता है कि आप जो भी पैसा चढ़ाते हैंवह  बाबाओं और साधुओं का वेश धरे बैठे इन धंधेबाजों की ऐयाशी के काम आता है!

फ़िल्म सभी धर्मों से जुड़े बहुत सारे सवाल उठाती है और उन सवालों का मर्म यही है कि जो बात एक धर्म में सही हैवह दूसरे धर्म में गलत है। अब यदि दुनिया को बनानेवाला और चलानेवाला एक है तो उसने अलग-अलग धर्मों के लिए ये अलग-अलग नियम नहीं बनाए होंगे। तो स्पष्ट है कि ये नियम उस ईश्वर के बनाए हुए नहीं हैं बल्कि उन इंसानों के बनाए हुए हैं जो दावा करते हैं कि उनका ईश्वर से सीधा संपर्क है। सबसे अच्छी बात यह है कि फ़िल्म हर धर्म के नियमों और सिद्धांतों पर सवाल उठाती है। एक पात्र से यह भी बुलवाया गया है कि पादरी कहते हैं कि ईसाई बनूंगा तभी मेरा उद्धार होगा। मैं पूछता हूं कि मैं हिंदू से ईसाई क्यों बनूँयदि भगवान को मुझे ईसाई ही बनाना होता तो हिंदू परिवार में मुझे पैदा क्यों करते?’

मूवी ईश्वर-विरोधी नहीं है। यह नास्तिकता का प्रचार नहीं करती लेकिन यह स्पष्ट शब्दों में कहती है कि सड़क पर कुछ रुपयों में बिकनेवाली या मंदिर में रखी मूर्ति आपका काम नहीं करती। यदि आप इसे हिंदू धर्म का अपमान समझें तो यह आपकी समझ है। लेकिन यह बात कोई पहली बार तो नहीं कह रहा।

कबीर दास तो यह सालों पहले कह गए थे कि पाथर पूजे हरि मिले तो मैं पूजूँ पहारताते ये चाकी भली पीस खाए संसार।’ दयानंद सरस्वती भी मूर्ति पूजा विरोधी हो गए थे जब उन्होंने देखा कि एक चूहा शिवजी की मूर्ति के ऊपर उछल-कूद कर रहा है।  आप ज़रा सोचिएयदि मूर्ति को तिलक लगाने से काम बनता तो आज इतने सारे लोग दुखी क्यों हैंहर दुखी इंसान तो किसी न किसी भगवान की पूजा कर रहा है। क्या सबका काम बन रहा है?

और बात केवल मूर्तिपूजा की नहीं है। मस्ज़िदचर्चगुरुद्वारे या साईं मंदिर जानेवाले सभी लोगों की इच्छा पूरी होती है क्याहोती तो आज देश में कोई भूखा नहीं होताकोई ग़रीब नहीं होताकोई बेरोज़गार नहीं होताकोई रेप नहीं होता। सारे अपराधी अपने-आप किसी रोग का शिकार हो जाते और मर जाते।

पेशावर की घटना के बाद मैं सोच रहा थाजो बच्चे बेंचों के नीचे छुप कर बचने की कोशिश कर रहे होंगेक्या उन्होंने ख़ुदा से प्रार्थना नहीं की होगी कि मुझे बचा लो। तो ख़ुदा ने उनकी क्यों नहीं सुनीया यह मान लें कि ख़ुदा ने उनकी सुनी जो बच गए और उनकी नहीं सुनी जो मारे गएमैं सोचता हूं कि ख़ुदा ने उन आतंकियों की बंदूकों को जाम क्यों नहीं कर दियाक्या ख़ुदा आतंकियों के साथ हैये सवाल ऐसे हैं जो पूछे जाने चाहिए लेकिन नहीं पूछे जाते क्योंकि उनको पूछना ही पाप मान लिया जाता है। यदि ऊपरवाले के न्याय पर सवाल उठाया तो नरक और दोज़ख का डर दिखाया जाता है। और कौन दिखाते हैं यह डर - वही जो ऊपरवाले के एजेंट बने हुए हैं।

यह डर ही है कि इन घटनाओं के बाद भी उन मारे गए बच्चों के मां-बाप का अल्लाह के न्याय पर विश्वास खत्म नहीं होता जैसा कि मेरी मौसी का गणेश जी पर विश्वास खत्म नहीं हुआ जब सिद्धिविनायक मंदिर में जाकर प्रार्थना करने के बावजूद मौसा जी कैंसर की बीमारी से उबर नहीं पाए और चल बसे।

मैं किसी कंपनी का सामान खरीदूं और वह अच्छा नहीं निकले या उसकी आफ्टर सेल सर्विस अच्छी  न हो तो मैं अगली बार उसका सामान खरीदने से पहले दस बार सोचूंगा। लेकिन धर्म और ईश्वर के मामले में ऐसा नहीं होता। मेरा ईश्वर चाहे अच्छा करे या बुरामुझे उसको पूजना है और उस तरह पूजना है जैसा कि उनके एजेंट मुझे समझाते हैं। यह व्रत रखोवह व्रत रखोयह दान दोवह दान दोयहां जाकर चादर चढ़ाओवहां जाकर जलाभिषेक करो।

एक बारबस एक बार दिमाग़ लगाकर सोचिएयदि इन सबसे काम बनता तो आज इतना दुख क्यों होतामेरा बस चलता तो मैं इन मंदिरों और मस्जिदों में एक सर्वे कराता कि जो लोग यहां आते हैंउनमें से कितने प्रतिशत का काम बनता है?

मैं आपकी आस्था पर चोट नहीं कर रहा। मेरे दिमाग़ में ये सारे सवाल आते हैं और इसी कारण मैं ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता। आपको मानना है तो मानें। यदि आपको अपने दर्द से राहत के लिए ईश्वर नाम के पेनकिलर की ज़रूरत है तो अवश्य लें। आप भी जानते हैं और वे फ़र्ज़ी डॉक्टर भी जानते हैं कि पेनकिलर से इलाज नहीं होतावह केवल आपको सामयिक राहत देता है। इसलिए केमिस्ट की दुकान से पेनकिलर लें और इन फ़र्ज़ी डॉक्टरों को उनकी मोटी फ़ीस देना बंद कर दें।

कबीर ने कहा थामोको कहां ढूंढे रे बंदेमैं तो तेरे पास रे। ना मंदिर मेंना मस्जिद मेंना काबे-कैलास में… तो ईश्वर में यदि आपको विश्वास है तो वह तो आपके सामने हैआपके आसपास हैआपके भीतर है। लेकिन फिर भी आपको किसी देवालय में जाना ज़रूरी लगे तो बेशक मंदिर जाओमस्जिद जाओगुरुद्वारा जाओ और चर्च जाओ लेकिन वहाँ पैसा चढ़ाना बंद कर दो। यदि पैसा देना है तो किसी मजबूर को दे दोकिसी ग़रीब की मदद कर दोकिसी की शिक्षा में लगा दोकिसी का इलाज करवा दो। इससे तीन फ़ायदे होंगे - एकआपको यह करके निश्चित रूप से अच्छा लगेगादोयदि ऊपरवाला वास्तव में है और वह देखता है और इस बात का हिसाब रखता है कि कौन क्या अच्छा या बुरा कर रहा है तो वह भी आपके इस नेक काम से खुश होगा और तीनइन धंधेबाजों का धंधा मंदा हो जाएगा। पीके का यही संदेश है।


'घर वापसी' करानेवाले राजेश्वर सिंह की हुई 'छुट्टी'


[घर वापसी कार्यक्रम पर विवाद के बाद राजेश्वर सिंह ने यह भी विवादित बयान दिया था कि मुसलमानों और ईसाइयों को भारत में रहने का हक नहीं है। उन्होंने अगले सात सालों में भारत को 'हिन्दू राष्ट्रबनाने का भी दावा किया था।]

 वसुधा वेणुगोपाल, नई दिल्ली

राजेश्वर सिंह 

यूपी में 'घर वापसी' कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे आरएसएस प्रचारक और धर्म जागरण समन्वय समिति के संयोजक राजेश्वर सिंह को 'छुट्टी' पर भेज दिया गया है। आगरा में उन्हीं के नेतृत्व में पुर्नधर्मांतरण कार्यक्रम किया गया था। इस विवादित कार्यक्रम पर विपक्ष के विरोध के चलते संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामा हुआ था। चर्चा है कि पीएम मोदी की नाराजगी के कारण उन्हें हटाया गया है। वजह जो भी हो, इतना तय है कि फिलहाल सिंह की ही 'घर वापसी' हो रही है।

घर वापसी कार्यक्रम पर विवाद के बाद राजेश्वर सिंह ने यह भी विवादित बयान दिया था कि मुसलमानों और ईसाइयों को भारत में रहने का हक नहीं है। उन्होंने अगले सात सालों में भारत को 'हिन्दू राष्ट्र' बनाने का भी दावा किया था।

आरएसएस के 55 वर्षीय प्रचारक राजेश्वर सिंह ने 'घर वापसी' को एक तरह से अकेले ही हवा दी थी और 1996 से ही वह धर्म जागरण अभियान की अगुवाई कर रहे थे। हालांकि, अब आरएसएस ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इन कार्यक्रमों के को-ऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी राजेश्वर सिंह से वापस ले ली है। संघ परिवार के सूत्रों ने बताया कि यह आरएसएस के नेताओं और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच हुई एक बैठक का नतीजा है। उन्होंने बताया कि उस बैठक में पीएम ने इस बात पर ऐतराज जताया था कि 'घर वापसी' के हल्ले ने विकास की उनकी रणनीति से ध्यान भटकाया है।

सिंह ने ईटी से कहा कि फिलहाल वह छुट्टी पर जा रहे हैं और संघ से जुड़े किसी काम में हिस्सा नहीं लेंगे। उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ दिनों से मुझ पर बहुत दबाव पड़ रहा था। इसका मेरे स्वास्थ्य पर असर पड़ा। मैं अब घर में आराम करना चाहता हूं।' उन्होंने उम्मीद जताई कि समय आने पर उन्हें नई जिम्मेदारी दी जाएगी। सिंह ने ईटी से कहा, 'मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ गलत किया। आरएसएस के टॉप लीडर्स सहित सभी लोगों ने मुझे सपोर्ट देने का वादा किया था। हालांकि संघ हर समय तो मजबूती से अपनी बात नहीं मनवा सकता है। हो सकता है कि अब उन्हें मेरी जरूरत न हो, लेकिन कल फिर उन्हें मेरी आवश्यकता पड़ सकती है।'


आरएसएस के कई राज्यस्तरीय नेताओं ने ईटी को बताया कि सिंह को आरएसएस और बीजेपी की टॉप लीडरशिप के बीच हुई चर्चा के बाद हटाया गया है। हाल के हफ्तों में हुई ऐसी बातचीत में पीएम भी शामिल रहे थे। बीजेपी नेताओं ने आरएसएस लीडरशिप से शिकायत की थी कि धर्मांतरण को लेकर हुए विवाद ने सरकार के 'डिवेलपमेंट अजेंडा' की चमक छीन ली है। यूपी में आरएसएस के एक पदाधिकारी ने ईटी से कहा, 'हमारे सभी घर वापसी कार्यक्रम भी अब रोक दिए गए हैं।'

आरएसएस के प्रवक्ता मनमोहन वैद्य ने सिंह को हटाए जाने की पुष्टि की। उन्होंने हालांकि कहा कि संघ की यूपी यूनिट ने यह फैसला बिना किसी दबाव के किया। उन्होंने ईटी से कहा, 'संघ किसी के दबाव में काम नहीं करता है।' सिंह को संघ से जुड़े धर्म जागरण अभियान से भी हटा दिया गया है। वह 1996 से इसकी कमान संभाल रहे थे। हालांकि वह आरएसएस की आगरा यूनिट में प्रचारक बने रहेंगे। मूल रूप से एटा निवासी सिंह को 1996 में संघ के पुनर्धर्मांतरण प्रोग्राम की अगुवाई करने को कहा गया था। वह इससे पहले मैनपुरी और शाहजहांपुर में संघ प्रचारक थे।

आरएसएस से जुड़ा धर्म जागरण संगठन मुस्लिमों और ईसाइयों को हिंदू धर्म में वापस लाने के लिए घर वापसी कार्यक्रम चला रहा है। आगरा में हुए घर वापसी कार्यक्रम के बाद अलीगढ़ में भी 25 दिसंबर को घर वापसी का कार्यक्रम होना था लेकिन विवाद के बाद इसे रद्द कर दिया गया।