November 15, 2014

NEPAL: DISCONTENT MADHESI LEADERS AND PM MODI'S JANAKPUR PILGRIMAGE

[Posted below today are two articles shared here with Himalini, a Hindi language magazine from Kathmandu. One of the  articles is on Nepalese Madhesh issues. The word, Madhesh means - a country 'in the middle of' other countries. Once the Buddha had himself told he was born in the 'Majjhim Desh of Jambu Dwip'. The 'Majjhim Desh' later became 'Madhyadesh' and nowadays, political leaders prefer calling it 'Madhesh' which is also called Terai, a Sanskrit word, literally - 'the foot hill'. The Nepalese Terai contributes a lot to the development of Himalayan country and should there be no Terai at all, Nepal will be even more 'impoverished mountainous country'. Although, the Terai contributes a lot to the country, the Terain people feel second-graded, disgraced and disadvantaged citizens of the country and therefore the Terain political leaders demand for 'One Madhesh, One Province' which other party leaders loathe as a malicious demand. In the other article, it  is stated that the people of Janakpur demand  Indian Prime Minister Narendra Modi deliver a public speech, which according to the Nepalese Home Ministry, will not happen on the ground of protocol or diplomatic norms. This November 25, Prime Minister Modi reaches Janakpur on a pilgrimage to 'Janaki Temple' in eastern Terai, Nepal. Mr. Modi, is an orthodox Hindu and is taking part in 'Ram Janaki Wedding Ceremony' - which is elaborately depicted in The Ramayana, one of the great Hindu epics. To commemorate Ram Sita marriage ceremony in the Treta Yuga'Ram Janaki Wedding Ceremony' is organized annually in the temple. - The Blogger ]



- कैलाश दास
धेशवादी दलांे के ऊपर फिर से संकट मंडरा रहा है बारा के स्रि्रौनगढ में पुलिस की गोली से युवक की मृत्यु हुई  संविधान में मधेश का अधिकार सुनिश्चित नहीं हुआ तोमधेश प्रदेश नहीं, देश बनेगा आवाज उठाया तो विखण्डनकारी का आरोप लगा कर डा. सि. के. राउत को गिरफ्तार कर लिया गया अदालत ने उन्हे ५० हजार रुपये की ग्यारेन्टी में रिहा करने की बात कही है उसके बावजूद भी मधेशवादी दलों की ओर सेचूं तक आवाज निकलना कुछ सन्देश तो अवश्य देता है

हो सकता है मधेशवादी दल अगर किसी मुद्दा को लेकर आन्दोलन में उतरते हैं तो उन परसंविधान विरोधी आरोप लग सकता है जो नेपाली काँग्रेस, नेकपा एमाले सहित के दल चाहते हैं इस मायने में कुछ हद तक तो ठीक है, लेकिन इसका मतलव यह नहीं कि एक मधेशी के ऊपर कहर ढाहा जाए और मधेश के जिम्मेवार दल चुपचाप बैठे रहें राणा शासन और राजतन्त्र में कृपा और चाकरी के कारण मधेशियों की पहुँच ऊपर तक होती थी शायद इसी लिए मधेशी जनता नेपाली होते हुए भी उन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक माना जाता था लेकिन लोकतन्त्र में जनता द्वारा चुनकर भेजने पर नेपाली नागरिक को दूसरा दर्जा दिया जाए, इससे शर्मनाक बात लोकतन्त्र में और क्या हो सकती है - मधेश में हांल ही में घटित तीन घटनाओं से स्पष्ट होता कि राणातन्त्र और राजतन्त्र से ज्यादा लोकतन्त्र में मधेशी जनता को अवहेलित होना पडा है और उसकी वाक्-स्वतन्त्रता भी छीन ली गई है तीन घटना हैं - सप्तरी में फेस बुक टिप्पणी काण्ड, बारा के स्रि्रौनगढ की घटना और डा. सी. के राउत प्रकरण

डा. सी. के राउत की गलती बस इतनी है कि उनके पास तो किसी प्रकार का संगठन है और वे बडे  दलों के साथ हैं अगर कोई भी दल या संगठन देश को विखण्डन करना चाहता है तो वास्तव में वह सबसे बडा अपराध है ऐसा अभियान चलाने वालों को एक नीति निर्माण के तहत सजा मिलनी ही चाहिए लेकिन लोकतन्त्र में किसी व्यक्ति को बोलने पर दण्ड-सजा दिया जाए तो अभिव्यक्ति स्वतन्त्रता का क्या मतलव – यह तो राणा शासन काल में था और हीं राजतन्त्र में  

अगर लोकतन्त्र में इसकी व्यवस्था है तो सबसे पहले राप्रपा नेपाल के अध्यक्ष कमल थापा पर ऐसी कारवाही क्यो नहीं की गई - राजतन्त्र को खत्म करने के लिए बहुतों ने अपनी जान की आहुति दी है देश की आर्थिक स्थिति भी चकनाचूर हो गई तब लोकतान्त्रिक और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना उस लोकतन्त्र और धर्मनिरपेक्षता के विरोध में राप्रपा नेपाल ने खुलेआमराजा आऊ, देश बचाऊ, हिन्दू राष्ट्र घोषणा गर अभियान चलाया तो उस पार्टी  ऐसी स्वतन्त्रता कहाँ से मिलीऔर मधेश में जन्मे डा. सी. के राउत को राजद्रोह – शायद सी. के. मधेश में नहीं किसी पहाड में जन्में होते तो आज उन्हे यह दिन देखना नहीं पड्ता

मधेशी जनता ने नेताओ को मत देकर जिताया, राज्य को अच्छा खासा राजस्व दिया फिर भी पुलिसकी गोली से मधेशी की हत्या होना, जेल जाना, अपराधी का ठप्पा लगना, इलेक्टि्रक युग में फेसबुकके किसी समाचार पर टिप्पणी करने पर कारवाही होना, अधिकार की लडाई में नेता वर्ग द्वारा मौनरहना, होता है तो ऐसा लोकतन्त्र किस काम काइससे पहले भी एकीकृत नेकपा माओवादी द्वारा संसद में बजट बक्स तोडा जाता है तो उन्हे कुछ नहीं किया जाता मधेशी नेता द्वारा संसद में माइक तोडने और कुर्सी फेक्ने पर उन्हे जर्ुमाना, जेल और निलम्बन तक की आवाज उठी, ऐसा क्योजबकि क्षेत्रफल, जनसंख्या, राजस्व प्रत्येक दृष्टि से मधेश नेपाल का महत्वपूर्ण  भूभाग है लेकिन अधिकार और स्वतन्त्रता में हमेशा कमजोर

मधेशवादी दल अपने आप को कितना भी शक्तिशाली समझें, लेकिन वे बहुत ही कमजोर हैं उन में स्वच्छ विचार, राजनीतिक परिपक्वता, इमानदारी और दूरगामी दृष्टि की कमी है और जब तक इस अवस्था में सुधार नहीं होगा, तब तक मधेश अपने अधिकारों का समुचित प्रयोग नहीं कर पाएगा

संविधान निर्माण की बात मधेशी दलों के लिए गौण है वे पहचान एवं संघीयता सहित का संविधान चाहते हैं लेकिन संसद में वे कमजोर हैं सडक आन्दोलन के लिए मधेशी जनता मधेशी दलों पर विश्वासनहीं करते ऐसी अवस्था में वे क्या करेंनेपाली काँग्रेस, नेकपा एमाले और एकीकृत नेकपा माओवादी के पिछलग्गू बनना उनके लिए बाध्यता है लेकिन ये तीनों बडे दल संघीयता सहित के संविधान लाने के पक्ष में नहीं हैं भले ही एमाओवादी संघीयता और पहचान के लिए कुछ शब्दों को खर्च कर रहे हैं इसीलिए मधेशवादी दल उसके साथ मोर्चा बना कर बैठे हैं

यहाँ एक बात स्मरणीय है, जिस समय एमाओवादी नेतृत्व की सरकार थी, उस सरकार में मधेशवादी दलों की भी सहभागिता थी उसी सरकार ने संघीयता सम्बन्धी विवाद के कारण ही संविधान सभा को विघटन कर दिया था आज वही एमाओवादी के साथ गठबन्धन कर मधेशवादी दल आन्दोलन की बात कर रहे हैं, जो मधेशी जनता के हित में नहीं है

मधेशवादी दलांे की माँग है- पहचान सहित का संघीय संविधान, स्वायत मधेश एक प्रदेश लेकिन मोर्चा में ही आवद्ध एमाओवादी उसके विपरीत हंै एमाओवादी प्रचण्ड की अभिव्यक्ति से स्पष्ट होता है कि वो मधेश एक प्रदेश के लिए वे कभी राजी नहीं हांेगे एक कार्यक्रम में तर्राई मधेश राष्ट्रीय अभियान के संयोजक जयप्रकाश गुप्ता ने कहा कि प्रचण्ड की अभिव्यक्ति से दो प्रकार की बातें स्पष्ट होती हैं एक मधेश स्वायत प्रदेश कर दिया गया तो आनेवाले कल में, जो डा. सी. के राउत का अभियान है वह सफल हो जाएगा इसलिए मधेश में पाँच प्रदेश आवश्यक है

यह बहुत ही गम्भीर बात है एक तरफ मधेशवादी एमाओवादी के साथ कन्धा में कन्धा मिलाकर चलना चाहता है तो दूसरी ओर विश्वासघात की बात रही है ऐसे में क्या एमाओवादी के साथ गठबन्धन कर चलना ठीक हैकदापि नहीं क्यो चाहिए एमाओवादी का साथ मधेशवादी दलों के गठबन्धन कोअगर सभी मधेशवादी दल एक होकर एक नारा, एक अभियान और अपनी माँग के प्रति दृढ रहें तो आनेवाले संविधान मंे मधेश का समुचित अधिकार सुनिश्चित है वैसे जिस प्रकार से नेतागण की अभिव्यक्ति रही है इससे स्पष्ट होता है कि माघ गते संविधान नहीं बन पाएगा

अभी नेपाली काँग्रेस और एमाले के गठबन्धन वाली सरकार है फिर भी दोनों पार्टी  नेतागण विश्वस्त नहीं है कि संविधान माघ गते बन पाएगा नेपाली काँग्रेस की बात करें तो प्रधानमन्त्री सुशील कोइराला का कहना है कि किसी भी हालत में निर्धारित तिथि में संविधान बनेगा और उसी पार्टी  वरिष्ठ नेता शेरबहादुर देउवा इस बात में सशंकित हैं मधेशवादी दलों को बहस उससे नही है मधेशियों को संविधान किसी भी हालत में चाहिएइसलिए एक नीति के तहत उस पर दवाव सृजना करने की आवश्यकता है  

संघीयता सहित के संविधान और एक मधेश स्वायत प्रदेश की जो माँग है, उसके लिए एकजूट होकर कंधा से कंधा मिलाकर चलें, इसी में मधेश और मधेशवादी दलों का भला दिखता है अगर इस समय एकीकरण नही हो सका तो मधेश की राजनीति ही खत्म नही होगी बल्कि मधेश को अधिकार से भी हाथ धोना पड सकता है मधेशी जनता की चाहना और भावना के अनुसार आगे बढने में ही सभी का भला है

हिमालिनी 

कैलास दास, जनकपुर,

नेपाल सरकार ने भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को जनकपुर में नागरिक सम्बोधन और साइकल वितरण को मर्यादा विपरित कहा है यह खबर फैलते ही जनकपुर में सरकार के इस रवैये के प्रति विरोध होना शुरु हो गया है जनकपुरवासियो व्दारा मोदी का सम्बोधन बारहबिघा मे करवाने की मांग की जारही है

जनकपुर उद्योग वाणिज्य संघ और भारत नेपाल मैत्री संघ व्दारा संयुक्त रुप मे आयोजित में एक कार्यक्रम में वक्ताआें ने किसी भी हालत में भारतीय प्रम मोदी का रंग भूमि मैदान में ही नागरिक सम्बोधन होने की माँग की है

सहभागीयो नें जनकपुर के प्रति नेपाल सरकार की भावना एवं दृष्टि कोण गलत होने का आरोप लगाया है लोगों ने यहाँ के नागरिक की भावना एवं आवाज नेपाल परराष्ट्र मन्त्रालय सहित के निकाय में पठाने के लिए प्रमुख जिल्ला अधिकारी से आग्रह भी कीया है अगर जनकपुर दर्शन के क्रम में प्रम मोदी का नागरिक सम्बोधन मर्यादा विपरित है तो क्या मोदी जी का संसद में किये गये भाषण के समय में दलों के नेतओं द्वारा तालिया बजाना मर्यादा विपरित नही था ? तथा भारत द्वारा नेपाल पुलिस को दी गई गाडी मर्यादा विपरित और राजनीतिक हस्तक्षेप नही है ? यह प्रश्न भी किया गया था

सहभागीयों ने यह भी कहा कि भारतीय प्रम मोदी के भ्रमण से विश्व का ध्यानाकर्षण जनकपुर में होगा विश्व के मिडिया जनकपुर में आऐंगे इससे जनकपुर का प्रचार प्रसार ही नही विकास में भी नयाँ आयाम आयेगा इसलिए अतिथि देवो भवः की तैयारी धुमधाम के साथ करने के लिए सभी से आग्रह भी कीया गया है

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के स्वागत सत्कार के लिए व्यापारी अपने दुकान के आगे दीपावली जैसा सजावट करने के लिए जनकपुर उद्योग वाणिज्य संघ के अध्यक्ष शिवशंकर साह हिरा ने आग्रह कीया है

प्रमुख जिल्ला अधिकारी कृष्णप्रसाद ढुङ्गाना ने जनकपुर में भारतीय प्रधानमन्त्री के सुरक्षा देने के लिए सुरक्षा निकाय पूर्ण रुप से सक्षम है दावी कीया है लेकिन लागों का मानना है कि उनका यह दावा खोकला है सरकार गुप्त रुपसे सम्बोधन के विरुध्द काम कररही है सम्बोधन के पक्ष मे कल्ह विभिन्न कल्बों ने अलग अलग समारोह का आयजन किया है


कार्यक्रम में सशस्त्र प्रहरी उपरीक्षक रविन्द्र ठाकुर, प्रहरी उपरीक्षक गणेश बहादुर थापा क्षेत्री, पूर्व राज्य मन्त्री सूरिता साह, जनकपुर उद्योग वाणिज्य संघ का पूर्व अध्यक्ष निर्मल कुमार चौधरी, श्यामप्रसाद साह, रमेश प्रसाद साह, जनकपुर नगरपालिका का निवर्तमान नगरप्रमुख बजरंग प्रसाद साह, उपप्रमुख किशोरी साह, जनकपुर अञ्चल बस व्यवसायी संघ का अध्यक्ष मनोज चौधरी, रामानन्द युवा क्लवका पूर्व अध्यक्ष नविन मिश्र, बुद्धिजिवि काशिनाथ झा, श्रीराम युवा कमिटी का अध्यक्ष रामबाबु साह, किशोरी साह सहित के वक्ताओं ने सुझाव दिया था